स्थापना एवं संक्षिप्त इतिहास

स्वतन्त्र भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान द्वारा नव भारत के निर्माण की अहम् भूमिका में अग्रणी आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती का संकल्प था कि शिक्षा के विकास द्वारा मानव का शारीरिक, आर्थिक तथा सामाजिक उत्थान हो। परम्परा के अनुरूप वह समय आया कि स्वामी जी के अनुयायियों ने उनकी स्मृति चिरस्थायी बनाने व उनके स्मारक को स्वरूप प्रदान करने के लिये उनकी पावन स्मृति में शिक्षण संस्थानों के निर्माण का संकल्प लिया और स्वामी जी के विचारणीय विषय ‘अज्ञानता एवं ज्ञान’ का प्रसार किया।
महापुरुषों की ध्येय निष्ठा, राष्ट्रभक्त एवं त्याग की कर्ममयी भावनाओं को साकार रूप प्रदान करने के लिये मानवता की सेवा एवं भावी पीढ़ी में संस्कार हेतु आदर्श पल्लवित हो रहें। अतः स्वामी जी की भावना की पूर्ति हेतु उनके अनुयायियों ने देश में हजारों संस्कारदायी विद्यालयों/महाविद्यालयों की स्थापना की।
घाटमपुर के मुरलीपुर ग्रामीणांचल के हजारों निर्धन विद्यार्थी जिनमें अधिक संख्या में शामिल छात्राएं सुदूर क्षेत्रों में स्थित महाविद्यालयों में आवागमन की असुविधा, असुरक्षा की कठिनाई तथा धनाभाव के कारण उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते थे। अतः क्षेत्र के नागरिकों की उक्त आवश्यकता को अति गम्भीरता से लेते हुये कानपुर विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियन्ता के पद को सुशोभित कर चुके कर्मठ प्रशासक, आर्य समाज के कर्मठ कार्यकर्ता व प्रचारक, समाज सेवी, विद्वान महापुरुष स्व. इं ओम प्रकाश आर्य के संकल्प व अन्तिम इच्छा की पूर्ति हेतु घाटमपुर विधानसभा से कई बार निर्वाचित सुयोग्य व कर्मठ पूर्व निर्वाचित विधायक एवं फतेहपुर लोकसभा से सांसद माननीय श्री राकेश सचान द्वारा सन 2004 में महर्षि दयानन्द सरस्वती व उनके परम अनुयायी एवं आर्य समाज के प्रचारक स्वर्गवासी बाबा स्व. दनकू प्रसाद व दादी स्व. परागा देवी की पावन स्मृति में शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले शिक्षा के आदर्श के रूप में पूज्यनीय माता-पिता श्रीमती ज्ञानशीला (सेवानिवृत्त पूर्व प्रधानाचार्य) व श्री उदय नारायण (सेवानिवृत्त पूर्व प्रवक्ता) के पावन नाम पर दयानन्द दनकू परागा ज्ञान उदय महाविद्यालय, मुरलीपुर घाटमपुर, कानपुर नगर की स्थापना स्नातक एवं परास्नातक स्तर पर कला, विज्ञान, शिक्षा, शारीरिक शिक्षा संकायों में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से सम्बद्धता प्राप्त हुई, महाविद्यालय का तात्कालिक उद्देश्य मुरलीपुर, घाटमपुर ग्रामीणांचल के उच्च शिक्षा से वंचित हजारों निर्धन छात्र/छात्राओं को स्नातक एवं परास्नातक स्तर पर कला, विज्ञान, शिक्षा एवं शारीरिक शिक्षा संकायों के विषयों/पाठ्यक्रमों में उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर उत्तर रोजगार प्राप्त करने की दिशा में हर सम्भव प्रयास व सहयोग प्रदान करना है।
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