Our Vision & Mission
स्वतन्त्र भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान द्वारा नव भारत के निर्माण की अहम् भूमिका में अग्रणी आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती का संकल्प था कि शिक्षा के विकास द्वारा मानव का शारीरिक, आर्थिक तथा सामाजिक उत्थान हो। परम्परा के अनुरूप वह समय आया कि स्वामी जी के अनुयायियों ने उनकी स्मृति चिरस्थायी बनाने व उनके स्मारक को स्वरूप प्रदान करने के लिये उनकी पावन स्मृति में शिक्षण संस्थानों के निर्माण का संकल्प लिया और स्वामी जी के विचारणीय विषय ‘अज्ञानता एवं ज्ञान’ का प्रसार किया। आगे पढे
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