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Our Vision & Mission

स्वतन्त्र भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान द्वारा नव भारत के निर्माण की अहम् भूमिका में अग्रणी आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती का संकल्प था कि शिक्षा के विकास द्वारा मानव का शारीरिक, आर्थिक तथा सामाजिक उत्थान हो। परम्परा के अनुरूप वह समय आया कि स्वामी जी के अनुयायियों ने उनकी स्मृति चिरस्थायी बनाने व उनके स्मारक को स्वरूप प्रदान करने के लिये उनकी पावन स्मृति में शिक्षण संस्थानों के निर्माण का संकल्प लिया और स्वामी जी के विचारणीय विषय ‘अज्ञानता एवं ज्ञान’ का प्रसार किया।

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Available Courses

  • B. A.(बी. ए.)
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बी. ए. (त्रि - वर्षीय पाठ्यक्रम विषय चयन)

                      कला संकाय के अन्तर्गत बी0 ए0 प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष, तृतीय वर्ष में हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीतिक शास्त्र, शिक्षा शास्त्र इतिहास, संस्कृत, भूगोल, अंग्रेजी साहित्य व अंग्रेजी भाषा के विषयों में विद्यार्थियों के लिये अध्ययन की व्यवस्था है। बी. ए. प्रथम वर्ष में हिन्दी भाषा/अंग्रेजी भाषा में कोई एक विषय लिया जा सकता है। बी. ए. प्रथम वर्ष में चुने गये तीन विषय बी. ए. द्वितीय वर्ष में रहेंगें। बी. ए. द्वितीय वर्ष में उत्तीर्ण विषयों में से कोई दो विषय बी. ए. तृतीय वर्ष के लिये चुने जा सकते हैं तथा एक बार विषय चयन कर लेने पर दोबारा विषय परिवर्तन सम्भव न होगा। विश्वविद्यालय एवं यू0 जी0 सी0 द्वारा 2007-2008 से एक अतिरिक्त व अनिवार्य विषय के रूप में पर्यावरण अध्ययन की परीक्षा बी. ए. प्रथम वर्ष में देना अनिवार्य है यदि प्रथम वर्ष में पर्यावरण अध्ययन में अनुत्तीर्ण हो जाता है तो उक्त विषय की द्वितीय वर्ष में परीक्षा देगा। परीक्षा न देने पर छात्र अनुत्तीर्ण कर दिया जायेगा।

  • B. Com.(बी. काम.)
  • (ित्र -वर्षीय पाठ्यक्रम)

  • B. Sc.(बी. एस - सी.)
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बी. एस-सी.(त्रि - वर्षीय पाठयक्रम विषय चयन)

                      विज्ञान संकाय के अन्तर्गत बी0 एस-सी0 प्रथम व द्वितीय वर्ष में गणित वर्ग के विद्यार्थियों (रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान व गणित) तथा जीव विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों (रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान व जन्तु विज्ञान) विषयों में अध्ययन की व्यवस्था है। बी0 एस-सी तृतीय वर्ष के विद्यार्थी द्वितीय वर्ष के अध्ययन किये गये विषयों मंे से कोई दो विषय चयन कर सकेंगे। बी0 एस-सी0 तृतीय में एक बार विषय चुन लिये जाने के बाद विषय परिवर्तन की अनुमति नहीं प्राप्त होगी। विश्वविद्यालय द्वारा होने वाले सभी परिवर्तन विद्यार्थियों को मान्य होंगे। विश्वविद्यालय एवं यू0 जी0 सी द्वारा सत्र 2007-2008 से एक अतिरिक्त व अनिवार्य विषय के रूप में पर्यावरण अध्ययन की परीक्षा बी0 एस-सी0 प्रथम वर्ष में देना अनिवार्य है यदि प्रथम वर्ष में पर्यावरण अध्ययन में अनुत्तीर्ण हो जाता है तो उक्त विषय की द्वितीय वर्ष में परीक्षा देगा। परीक्षा न देने पर अनुत्तीर्ण कर दिया जायेगा।

 
 

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